रेडियो में सुरीली आवाज
"रेडियो में सुरीली आवाज"
राज मनोहर सिंग जानी मानी हस्ती,उनकी पत्नी सारिणी सीधी सादी घरेलू महिला दो बेटियाँ और एक बेटा....
सुखी, समृद्ध और खुशहाल परिवार... बढ़िया गजटेड नोकरी....नोकर चाकर... बँगला, गाड़ी.... सभी कुछ.... शानदार जीवन.....
बड़ी बेटी रिद्धी की शादी बहुत जल्दी हो गयी... अठारहवें बरस में कदम रखा ही था.... अच्छा लड़का मिल गया सो कर दी शादी.....उसका ससुराल ज्यादा दूर भी न था.... महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन....बहुत समृद्ध धनवान परिवार तो न था..... मध्यम श्रेणीपरिवार...
लेकिन उच्च, सद विचार धाराओं से समृद्धिशाली परिवार......
छोटी बेटी सिद्धी तो अभी पढ़ रही थी... ग्रेजुएशन कर रही थी....पढ़ाई में भी होशियार थी.... मैनेजमेंट की पढ़ाई पूरी होते ही... राज मनोहर जी ने उसकी शादी भी बड़ी शानो शौकत से कर दी..... लड़का भी बढ़िया इंजीनियर मिल गया..... दो तीन साल ही हुये थे शादी के.....
किस्मत ने पलटा खाया......विदेश की सैर करा दी...
विदेश में नोकरी सो परिवार सहित विदेश.... पहुँच गये.... दो चार साल बीते दो सुंदर सी कन्याओं के माँ बाप भी बन गये.... नागरिकता भी मिल गयी... वहीं के होकर रह गये.... चार पाँच सालों में एकाध बार ही.... कुछ दिन को आना हो पाता......
इतना ही अच्छा था बड़ी बेटी रिद्धी पास में थी.... सो गाहे बगाहे आ ही जाती थी.... उसका भी भरा पूरा परिवार.... सो दो चार दिन को ही आ पाती...
उसके दो बेटे हो गये थे.... जिम्मेदारियाँ भी बढ़ गयीं थीं.... सो आना कम ही हो पाता था.... शुक्र है नये ज़माने का
नयी टेक्नालाजी का... भला हो...जो स्मार्ट फोन प्रचलन में आया.....कहीं भी दूर दराज बैठे बातचीत कर लो......
देख भी लो.... वीडियो कालिंग करलो....
मुझे और मेरे पतिदेव को तो रेडियो बहुत पसंद आता है.... पतिदेव कभी समाचार सुनेंगे... या फिर बगीचे की जानकारियाँ..... बेटा बोलाऽऽ पापा मोबाइल में सब कुछ देखने मिलेगा आपको....न भई ये झुनझुना न अपना तो रेडियो आकाशवाणी, सिलोन भला.......
और वो देख तेरी माँ.... गाने सुन रही होगी या फिर उसकी प्यार सी तब्बसुम.....गाना बज रहा था....
न जाओ सैंया छुड़ा के बैंया कसम तुम्हारी मैं......
गाना अधूरा रह जाता है...
पतिदेव की आवाज.... अरे भाग्यवान कहाँ जा रहा हूँ... तुझे छोड़कर.... कहाँ जाऊँगा.... ये कोरोना तो पीछा नहीं छोड़ रहा.... अरे सुन तो बेटा बोल रहा था.....
अपन के लिए मोबाइल भेज देगा....
बिल्कुल नहीं.... मना कर देना उसको.... अरे!!
कर दिया मना..... देख अपन भी रेडियो का पीछा
नहीं छोड़ रहे..... यही तो अपना साथी है ....ये कोरोना
ने तो घर में कैद करके रख दिया है.....
चल चल नाश्ता दे.... क्या बनाया है आज ....?
कल खड़ी मूंग फूलने डाली थी.... आज उसमें अंकुर
भी निकल आये....वही बना दी है नाश्ते में बहुत पौष्टिक होती है...आपको तो क्या है... भजिऐ बना दो या फिर समोसे बना दो.... जब देखो तेल ही तेल वाला खाना.... पुड़ी पराठे के बिना पेट नहीं भरता.... मिठाई तो चाहिए
ही चाहिए.... खैर वो तो मुझे भी चाहिए रहती है....
पंडित जो हैं....भई...ब्राह्मण काहे के.... मिठाई न खाई
तो पेट न भरे....
पर आप अपनी सोचो.... तोंद निकली जा रही है...
फूल के मटका सी हो गयी है....सुनो ये लैक्चर न झाड़ो.... चुपचाप नाश्ता ले आओ......
अब छोटे बेटे ईशान की भी इन्जीनियररिंग की पढ़ाई पूरी हो गयी.....उसका कैम्पस सिलेक्शन भी हो गया.....
सो नोकरी लग गयी.... वो भी कहाँ..?
चेन्नई में.... खाने की तो आफ़त हो गयी उसकी...
इडली डोसा सांभर चावल....खा खाकर परेशान हो गया... अपन ठहरे!! रोटी दाल चावल खाने वाले....वहाँ तो रोटी
के लाले पड़ गये......
जैसे तैसे एक साल निकल पाया ......जब तक लड़की
भी देख ली गयी बेटे को भी पसंद आ गयी....बस फिर
क्या था.... चट मंगनी पट ब्याह वाली कहावत चरितार्थ
हो गयी.... घर में आखिरी शादी... वो भी बेटे की....
फिर एक ही बेटा... सो राज मनोहर जी ने कोई कसर
न छोड़ी.... खूब धूमधाम से.... बेटे की शादी करी.....
सारे रीति रिवाजों के साथ........
कोरोना के चलते ज्यादा लोगों को बुलाया नहीं...
पर श्रीमती जी को लेडीज़ संगीत तो करना ही था....
गाने की शौकीन जो ठहरीं.... गाना बज रहा है........
झुमका बरेली वाला कानों में ऐसा डाला....
अरे चेंज हो गया गाना....सभी थिरक रहे हैं......
मोरी छमछम बाजे पायलिया, मोरी छमछम....
आज मिले हैं मोरे साँवरिया.... मोरी...
अरे ये क्या फिर गाना चेंज......
मोहे नौलखा दिला दे ओ सैंया दीवाने, मुझे नौलखा
दिला दे ओ सैंया.......
अरेऽऽ अब समझ आया ये तो डांस के लिए पेरोडी है गानों की.......
बहुत बढ़िया से सारे कार्यक्रम हो गये...शादी भी हो गयी.... मेहमान भी चले गये..... शुक्र है कोरोना में भी सब अच्छे
से हो गया.... सब अच्छे अच्छे अपने घर चले गयें........
फिर तबादला हो गया बैंगलूर.....सो शुरु में तो अकेले ही जाना पड़ा....वहाँ जाकर सारी व्यवस्थाऐं जो करनी थी..... अरे भई पहले तो ....अकेला था पर अब तो शादीशुदा हो गया.... सो व्यवस्था तो करनी ही थी.... महिना भर बाद आकर.... नयी नवेली बहुरिया.... को लेकर गया.....
साथ में गयीं सासु माँ भी..... पर वे तो उनकी गृहस्थी सम्हलवा कर एक ही हफ्ते में वापस आ गयीं......
चल पड़ी इनकी भी गाड़ी... घर गृहस्थी की पटरी पर
दौड़ने लगी....अभी पाँच छैः महिने भी.... नहीं हुये थे
कि कम्पनी ने..... विदेश भेजने का फ़रमान जारी कर
दिया...पापा को खबर करी.... जो अपने बच्चों को बाहर भेजने के पक्ष में नहीं थे.... उनकी तो रातों की नींद ही गायब हो गयी.... आनन फानन में.... टिकट कटाये...
दोनों पति पत्नी पहुँच गये बैंगलूर...
हफ्ता भर तो वैसे ही निकल गया... हफ्ता भर बेटे बहू
के पास रह पाये.... समान ही तितर बितर करने में समय चला गया.... अब क्या नहीं रहता घर गृहस्थी में...ज्यादा सामान ले भी नहीं जा सकते... सो कुछ तो वहीं सेल कर दिया.... कुछ सामान ये लोग लेकर आ गये.... बेटा बहू
चले गये विदेश....
अब पति पत्नी दोनों हो गये बिल्कुल अकेले....
सब बच्चे अपनी अपनी घर गृहस्थी में मशगूल हो गये...
बहू की.... डिलीवरी होना थी....सो बुला लिया विदेश
माँ पापा को.... सम्हलवाकर दो महिना रह कर वापस
आ गये..... बेटा बोला हम बार बार नहीं आ पायेंगे..... आप लोग यहीं रहो...पर विदेश में रहना.... कहाँ रास
आता है..... सो मना कर दिये....
भई जब तुम लोग आ पाओ.... सो आना.... हम लोग
रह नहीं पायेंगे यहाँ..... अपना देश भला....
न अपने भारत देश जैसे लोग... न कोई बात करने को....
न ही अपनापन.... न भई न हम नहीं रह सकते यहाँ..... तुम्हारी नोकरी चाकरी है.... सो तुम्हारी तो मजबूरी है बेटा......
बेटे को विदेश गये दो साल होने को आ रहे.... पर वो चाहकर भी नहीं आ पा रहे.... कोरोना जो है....
अब बच्चे कोई पास में नहीं है.... सो स्वाभाविक है बच्चों को याद करना..... वो तो भला हो श्रीमती जी के शौक का.... गाने सुनती रही हैं....वरना हालत खराब हो जाती.... रेडियो तो हाल में रखा रहता है....बहुत पुराना है सालों पुराना.... मजाल है कभी!! खराब हुआ हो......
अभी तब्बसुम को सुन सुन कर मुस्कुरा रहीं हैं....साथ में खाना भी बन रहा है.....
अब किचिन से गाने की आवाज आने लगी.....
आजा सनम मधुर चाँदनी में हम... तुम मिले तो वीराने में भी आ जायेगी बहार, झूमने लगेगा.....
साथ साथ श्रीमती जी भी गा रहीं हैं.... आवाज तो है ही सुरीली..... साथ में सुर लय भी हैं.......
खाना लगाओ भई बहुत तेज भूख लग रही है....
अरे वा आज तो सब मेरी पसंद का बना है....
भँरवा भिंडी, बूंदी का रायता वा वा ये रसगुल्ले कब
बना लिए तुमने....आज मलाई का घी बनाया....
खोवा निकला जो.... उसी के बना लिए.... आहा हा....
बहुत ही... बढ़िया बने हैं ये तो..... वा भई क्या कहने!! तुम्हारा भी जवाब नहीं.......
"आम के आम गुठलियों के भी दाम "
तुम भी खालो साथ में.... मुझे अभी भूख नहीं लग रही.... आप खाओ... मैं बाद में खा लूंगी....
मैं खाना खाकर उठा.....और रेडियो चालू करके समाचार सुनने लगा.....
श्रीमती जी आराम से जाकर लेट कर ट्रांज़िस्टर पर
सदा बहार गीत लगाकर सुनने में मशगूल हो गयीं...
गाना बजने लगा....ऐ मेरी जोहरा जबीं तुझे मालुम
नहींऽऽ तू अभी तक है जवां......इतने में घंटी बजी
शायद दरवाजे पर कोई आया है.....मेडम जी तल्लीन
हैं.... गाना सुनने में.... मैं भी धीरे से रुम में गया....
हाथ पकड़ा... और उन्हें उठा कर.... ऐ मेरी
जोहरा जबीं तुझे मालुम नहीं.....अरे छोड़ो जी घंटी
बज रही है.... कोईऽऽ अरे मैं तो भूल ही गयी....
आज तो मेरी सहेली आने वाली है.... मैं भागी खुशी
के मारे दरवाजा खोलने.......
सामने मेरे मेरी सहेली रचना खड़ी थी.... गदगद हो
हम एक दूसरे से गले मिले पूरे एक वर्ष बाद हम मिल
पाये हैं.... तूने फोन तो करा था.... पर मुझे ये कोरोना
के चक्कर में विश्वास नहीं हो रहा था.....
खैर छोड़ ये सब बता चाय काॅफ़ी या सीधे खाना खायेगी...? नहीं रे चाय काॅफ़ी कुछ नहीं सीधे खाना
खाते बातें भी करते जायेंगे.......
दोनों की थाली परोसती हूँ....हम लोग खाना खाने लगते हैं....सुन मैं आज इसलिए आई तेरे पास....
तुझे तो पता ही है मैं आकाशवाणी मैं काम करती हूँ.....
तेरी आवाज अच्छी है और गाती भी बढ़िया है.....
हमारे जो लड़की थी उसकी शादी हो गयी....
वो बाहर चली गयी है.... मैंने वहाँ तेरे लिए बात करी है.... अब इस उमर में.... अरे इसमें उमर वुमर कुछ नहीं....
तू चल तो मेरे साथ.....
खाना खाकर जल्दी से तैयार हो जाती हूँ...इनको बताकर हम दोनों चले जाते हैं.... वहाँ मेरी आवाज रिकार्ड करी जाती है..... फिर घर आकर इनको सब बताया....
बोले अच्छा तो है.... काम क्याहै...?
घर में गाने सुनती रहती हो..... वहाँ जाओगी....
तुम्हें भी अच्छा लगेगा..... दूसरे दिन रचना का फोन
अता है.... तेरा सिलेक्शन हो गया.... आज ही से तुझे ज्वाईन करना है....मैं आती हूँ अपन साथ ही चलेंगे..... आज रेडियो में उसकी सुमधुर आवाज गूँज रही थी.... लोक गीत नर्मदा जयंती जो आने वाली है..... बरसों का सपना उसका आज पूरा हो गया....वो भी अकस्मात....
लोक गीत की मधुर आवाज..... श्रीमती जी की आँखों में अश्रु.... अरे ये क्या...? आँसू पौंछते हुये... अरे ये तो खुशी के आँसू हैं... आज खुशी समा नहीं पा रही...गीत के बोल कानों में.... सुमधुर संगीत.....
तीरे नर्मदा मैया,
लागो है मेला गुंईयाँ,
लागो है मेला, लागो है मेला,
मौरी गुंईयाँ......
अमरकंटक से, निकरीं मैया,
तीरे नरबदा बस गयीं गुंईयाँ,
लागो है मेला......
जबलईपुर की गेल पकर लयी,
ग्वारीघाट में बस गयीं गुंईयाँ,
लागो है मेला......
पावन पुण्य नगरी, हो गयी मैया,
पीली चुनरिया, ओढ़ली गुंईयाँ,
लागो है मेला...... ।
कहानीकार- रजनी कटारे
जबलपुर (म. प्र.)
प्रतियोगिता हेतु कहानी
Barsha🖤👑
10-Dec-2021 08:30 PM
Nice
Reply
🤫
10-Dec-2021 04:49 PM
Good story
Reply
राधिका माधव
10-Dec-2021 09:12 AM
Behtreen kahani hai...
Reply